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Jellied Eels

Jellied Eels

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जेली ईल, जिसे हिंदी में "जेली में भुनी हुई ईल" कहा जाता है, एक पारंपरिक ब्रिटिश व्यंजन है, जिसका इतिहास लंदन के पूर्वी हिस्से से जुड़ा हुआ है। यह विशेष रूप से टेम्स नदी के आसपास पाया जाता था, जहाँ ईल मछलियों का शिकार किया जाता था। 19वीं शताब्दी में, जब लंदन के लोगों के लिए भोजन एक बड़ी चिंता थी, तब जेली ईल एक सस्ता और पोषक तत्वों से भरपूर विकल्प बन गया। इसका सेवन श्रमिक वर्ग के लोगों के बीच लोकप्रिय था, और धीरे-धीरे यह एक सांस्कृतिक पहचान बन गया। जेली ईल की खासियत इसकी अद्वितीय बनावट और स्वाद है। इस व्यंजन में ईल मछली को आमतौर पर उबालकर उसकी जेली बनाई जाती है, जिससे इसका एक विशिष्ट गाढ़ा और मांसल रूप बनता है। जब ईल को पकाया जाता है, तो उसकी त्वचा से निकलने वाला कोलेजन जेली के रूप में जमा हो जाता है, जिससे यह व्यंजन और भी खास बनता है। इसका स्वाद हल्का और समुद्री होता है, जिसमें एक अद्वितीय मिठास और नमकीनता होती है। यह व्यंजन आमतौर पर सरसों के साथ परोसा जाता है, जो इसके स्वाद को और भी बढ़ा देता है। जेली ईल की तैयारी एक विशेष प्रक्रिया से गुजरती है। सबसे पहले, ताजा ईल को साफ किया जाता है और उसके सिर और पूंछ को काट दिया जाता है। फिर इसे पानी, सिरका, और विभिन्न मसालों के साथ उबाला जाता है। पकाने के बाद, ईल को काटकर एक बर्तन में रखा जाता है और उसके ऊपर उबले हुए तरल को डाला जाता है। यह बर्तन ठंडा होने पर जेली में बदल जाता है। इसके बाद, इसे ठंडा होने के लिए फ्रिज में रखा जाता है, ताकि जेली अच्छी तरह सेट हो जाए। मुख्य सामग्री में ताज़ा ईल, पानी, सिरका, और विभिन्न मसाले जैसे कि नमक, काली मिर्च, और कभी-कभी हर्ब्स शामिल होते हैं। कुछ लोग इसमें अतिरिक्त स्वाद के लिए प्याज या लहसुन भी डालते हैं। यह व्यंजन आमतौर पर ठंडा परोसा जाता है और इसे खाने के लिए क्रिस्प ब्रेड या टोस्ट के साथ लिया जाता है। जेली ईल न केवल एक साधारण भोजन है, बल्कि यह ब्रिटिश भोजन संस्कृति का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो इसके इतिहास और परंपरा को दर्शाता है।

How It Became This Dish

जेली ईल का इतिहास: एक सांस्कृतिक यात्रा आरंभिक उत्पत्ति: जेली ईल (Jellied Eels) का इतिहास इंग्लैंड के लंदन शहर से जुड़ा हुआ है, जहाँ यह एक पारंपरिक व्यंजन के रूप में विकसित हुआ। इसकी उत्पत्ति 18वीं सदी के अंत में हुई मानी जाती है, जब ईल मछलियों की प्रचुरता थी। उस समय, लंदन के थेम्स नदी में ईल मछलियाँ आसानी से मिलती थीं और स्थानीय लोग इन्हें पकड़कर अपने भोजन का हिस्सा बनाते थे। जेली ईल की विशेषता यह है कि इसे पकाने के बाद ठंडा किया जाता है, जिससे यह एक ठोस जेली में बदल जाती है। संस्कृति और समाज में महत्व: जेली ईल का विकास मुख्य रूप से श्रमिक वर्ग के बीच हुआ, जो इसे एक सस्ते और पोषक भोजन के रूप में देखते थे। लंदन के ईस्ट एंड क्षेत्र में, जहाँ परंपरागत रूप से श्रमिकों की बस्ती थी, जेली ईल की दुकानें खुलने लगीं। यहाँ, जेली ईल को छोटे-छोटे पारंपरिक रेस्तरां में परोसा जाता था। यह व्यंजन न केवल स्वादिष्ट था, बल्कि इसे खाने में भी आसान था, इसलिए यह विशेष रूप से व्यस्त श्रमिक वर्ग के लिए आकर्षक बन गया। विकास और लोकप्रियता: 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में जेली ईल की लोकप्रियता और बढ़ गई। इस समय के दौरान, लंदन में कई जेली ईल की दुकानें खुल गईं, और यह व्यंजन स्थानीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा बन गया। इस दौरान, जेली ईल को परोसने के तरीके में भी बदलाव आया। यह आमतौर पर एक छोटे बर्तन में परोसा जाता था, जिसमें नींबू का रस और काली मिर्च डालकर स्वाद बढ़ाया जाता था। जेली ईल का एक और दिलचस्प पहलू यह था कि इसे अक्सर ठंडी अवस्था में खाया जाता था, जिससे यह एक स्नैक्स के रूप में लोकप्रिय हो गया। यह व्यंजन न केवल लंदन के ईस्ट एंड में, बल्कि पूरे इंग्लैंड में फैल गया। यह विशेष रूप से समुद्री किनारे पर स्थित क्षेत्रों में भी लोकप्रिय हो गया। संस्कृति का प्रतीक: जेली ईल को लंदन के खाद्य परिदृश्य में एक सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह केवल एक भोजन नहीं है, बल्कि यह लंदन की श्रमिक वर्ग की संस्कृति, उनकी जीवनशैली और उनके संघर्षों की कहानी भी बताता है। जेली ईल को खाने के लिए लोगों की एक खास सभा होती थी, जहाँ वे एक साथ बैठकर इस व्यंजन का आनंद लेते थे। यह व्यंजन न केवल स्वादिष्ट था, बल्कि यह सामाजिक मेलजोल का एक साधन भी बन गया। आधुनिक युग में परिवर्तन: 20वीं सदी के मध्य में, जेली ईल की लोकप्रियता में कुछ कमी आई, क्योंकि फास्ट फूड और अन्य आधुनिक खाद्य विकल्पों ने इसे पीछे छोड़ दिया। इसके बावजूद, लंदन में कुछ पारंपरिक जेली ईल की दुकानों ने अपने व्यवसाय को बनाए रखा। आज भी, ये दुकानें अपने पुराने तरीके से जेली ईल बनाते और परोसते हैं, जिससे यह व्यंजन अपनी पारंपरिक पहचान को बनाए रखता है। हाल के वर्षों में, जेली ईल ने एक बार फिर से ध्यान आकर्षित किया है, खासकर खाद्य इतिहास और पारंपरिक व्यंजनों के प्रति बढ़ती रुचि के कारण। विभिन्न खाद्य ब्लॉग और शो में जेली ईल को विशेष रूप से प्रदर्शित किया गया है, जिससे नई पीढ़ी के लोगों में इस प्राचीन व्यंजन के प्रति रुचि बढ़ी है। संक्षेप में: जेली ईल का इतिहास न केवल लंदन के सांस्कृतिक परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह इंग्लैंड की खाद्य संस्कृति की समृद्धि और विविधता को भी दर्शाता है। यह व्यंजन समय के साथ विकसित हुआ है, लेकिन इसकी मूल पहचान और स्वाद को आज भी बनाए रखा गया है। जेली ईल, एक साधारण और साधारण भोजन के रूप में, लंदन के श्रमिक वर्ग की पहचान और उनकी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। इस तरह, जेली ईल न केवल एक खाद्य पदार्थ है, बल्कि यह एक कहानी है—एक ऐसी कहानी जो लंदन की गलियों में गूंजती है, जहाँ श्रमिकों ने इसे अपने जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बना लिया। आज भी, जब हम जेली ईल का आनंद लेते हैं, तो हम उस सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान करते हैं, जो हमारे भोजन में निहित है।

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