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Lokum

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लोकुम, जिसे टर्की में "रॉकेट" या "टर्किश डिलाइट" भी कहा जाता है, एक पारंपरिक मिठाई है जो अपनी अनोखी बनावट और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। इसका इतिहास ओटोमन साम्राज्य से जुड़ा हुआ है, जहाँ इसे पहली बार 15वीं सदी में बनाया गया था। लोकुम का नाम अरबी शब्द "लुक़्मة" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "एक निबाला"। यह मिठाई मुख्य रूप से तुर्की के विभिन्न क्षेत्रों में बनाई जाती है और समय के साथ इसके विभिन्न प्रकार विकसित हुए हैं। लोकुम की विशेषता इसकी जेली जैसी बनावट है, जो चबाने में मजेदार होती है। यह मिठाई आमतौर पर मीठी होती है, जिसमें चीनी और पानी को एक साथ उबालकर गाढ़ा किया जाता है। इसे फिर एक विशेष प्रकार के स्टार्च, जैसे कि कॉर्नस्टार्च या मक्का के स्टार्च, के साथ मिलाया जाता है, जो इसे एक अद्वितीय स्थिरता प्रदान करता है। लोकुम में विभिन्न स्वाद और मिश्रण होते हैं, जैसे कि गुलाब का पानी, नीबू का रस, या अखरोट, पिस्ता और हेज़लनट जैसे नट्स। इसके अलावा, इसे कभी-कभी दालचीनी या नारंगी फूल के पानी से भी फ्लेवर किया जाता है। लोकुम बनाने की प्रक्रिया में, सबसे पहले चीनी और पानी को एक बर्तन में मिलाकर उबाला जाता है। जब यह मिश्रण उबलने लगता है, तब उसमें स्टार्च मिलाया जाता है। इसे लगातार चलाते हुए पकाया जाता है ताकि यह गाढ़ा हो जाए। जब मिश्रण अपनी सही स्थिरता पर पहुँच जाता है, तब इसे एक ट्रे में डालकर ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है। ठंडा होने के बाद, इसे छोटे टुकड़ों में काटा जाता है और फिर कॉर्नस्टार्च या पाउडर शुगर में लपेटा जाता है ताकि यह चिपचिपा न हो जाए। लोकुम का स्वाद एकदम अद्वितीय होता है। यह मीठा होता है, लेकिन इसकी मिठास हल्की होती है, जो इसे चबाने पर धीरे-धीरे मुंह में फैलती है। इसके विभिन्न फ्लेवर इसे और भी खास बनाते हैं। गुलाब के स्वाद वाला लोकुम एक शांति और ताजगी का अनुभव देता है, जबकि नट्स के साथ बना लोकुम एक कुरकुरी टेक्सचर प्रदान करता है। यह मिठाई न केवल टर्की में, बल्कि पूरे मध्य पूर्व और यूरोप में लोकप्रिय है, जहाँ इसे चाय के साथ परोसा जाता है या विशेष अवसरों पर उपहार के रूप में दिया जाता है। लोकुम, अपनी विविधता और स्वाद के कारण, एक ऐसी मिठाई है जो न केवल तुर्की की संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि इसे विश्व भर में सराहा जाता है।

How It Became This Dish

लोकुम: तुर्की का एक समृद्ध खाद्य इतिहास लोकुम, जिसे अक्सर "तुर्किश डिलाइट" के नाम से भी जाना जाता है, एक पारंपरिक तुर्की मिठाई है जो अपनी विशेषता और स्वाद के कारण विश्वभर में लोकप्रिय है। इसका इतिहास, सांस्कृतिक महत्व और विकास एक समृद्ध और रोचक कहानी है, जो न केवल तुर्की के खाद्य परंपराओं को दर्शाती है, बल्कि इसके सामाजिक और ऐतिहासिक संदर्भ को भी उजागर करती है। उत्पत्ति लोकुम की उत्पत्ति का कोई निश्चित समय नहीं है, लेकिन इसे 15वीं शताब्दी के आस-पास की माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसका विकास उस समय हुआ, जब तुर्क साम्राज्य अपने चरम पर था। इस मिठाई का नाम "लोकुम" अरबी शब्द "लक़म" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "कटा हुआ टुकड़ा"। यह मिठाई मुख्य रूप से चीनी, स्टार्च और पानी से बनती है, और इसे विभिन्न स्वादों और रंगों में तैयार किया जाता है। लोकुम का सबसे प्रारंभिक उल्लेख 18वीं शताब्दी के अंत में हुआ, जब इसे ओटोमन साम्राज्य के सुलतान के दरबार में पेश किया गया। उस समय इसे एक विशेष व्यंजन के रूप में देखा जाता था, जो दरबारी समारोहों और विशेष अवसरों पर परोसा जाता था। सांस्कृतिक महत्व लोकुम का तुर्की संस्कृति में एक विशेष स्थान है। यह न केवल मिठाई है, बल्कि यह मेहमाननवाजी और मित्रता का प्रतीक भी है। तुर्की में, जब मेहमान घर आते हैं, तो उन्हें लोकुम पेश करना एक पारंपरिक आदान-प्रदान है। यह मिठाई तुर्की चाय के साथ परोसी जाती है, और इसके साथ बैठकर बातचीत करना एक आम सांस्कृतिक प्रथा है। लोकुम का उपयोग विशेष अवसरों जैसे विवाह, ईद, और अन्य त्योहारों पर भी किया जाता है। यह मिठाई खुशियों और उत्सवों का प्रतीक है, और इसे विभिन्न आकारों और स्वादों में तैयार किया जाता है, जैसे गुलाब, नींबू, और हेज़लनट। विकास 19वीं शताब्दी में, ओटोमन साम्राज्य के पतन के साथ, लोकुम का स्वरूप और इसकी लोकप्रियता दोनों में बदलाव आया। यह मिठाई केवल तुर्की में ही नहीं, बल्कि समस्त बाल्कन देशों, मध्य पूर्व और उत्तर अफ्रीका में फैली। प्रत्येक क्षेत्र ने इसे अपने तरीके से तैयार किया, जिससे इसकी विविधता बढ़ी। उदाहरण के लिए, ग्रीस में इसे "लौकौम" कहा जाता है और यह अक्सर पिस्ता और अखरोट के साथ तैयार किया जाता है। वहीं, बुल्गारिया में इसे अधिकतर फलों के स्वाद में बनाते हैं। इस प्रकार, लोकुम ने विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने का कार्य किया। 20वीं शताब्दी के मध्य में, लोकुम की लोकप्रियता और भी बढ़ी, जब इसे अन्य देशों में निर्यात किया जाने लगा। तुर्की के बाहर भी इसे मिठाई के रूप में पहचान मिली, और यह कई देशों में एक लोकप्रिय स्नैक बन गया। आधुनिक समय में लोकुम आज के समय में, लोकुम केवल एक पारंपरिक मिठाई नहीं रह गया है, बल्कि इसे एक व्यावसायिक उत्पाद के रूप में भी विकसित किया गया है। तुर्की में, कई कंपनियाँ लोकुम का उत्पादन करती हैं, और यह विभिन्न फ्लेवर और पैकेजिंग में उपलब्ध है। इसमें चॉकलेट कवर लोकुम, फलों के स्वाद वाले लोकुम, और यहां तक कि अल्कोहल के फ्लेवर वाले लोकुम भी शामिल हैं। लोकुम का उत्पादन प्रक्रिया भी आधुनिक तकनीकों से प्रभावित हुआ है। जहां पहले इसे हाथ से बनाया जाता था, अब मशीनों का उपयोग करके इसे बड़े पैमाने पर तैयार किया जाता है। फिर भी, पारंपरिक तरीकों को बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे इसकी गुणवत्ता और स्वाद में कमी न आए। लोकुम की विशेषताएँ लोकुम की सबसे खास बात इसकी बनावट और स्वाद है। यह एक नरम, चिपचिपे और मीठे टुकड़े के रूप में होता है, जो मुंह में रखते ही पिघल जाता है। इसकी विशेषता इसे अन्य मिठाइयों से अलग करती है। इसके अलावा, लोकुम विभिन्न प्रकार के स्वादों में उपलब्ध है, जैसे कि गुलाब, संतरा, नींबू, और पिस्ता। निष्कर्ष लोकुम का इतिहास तुर्की की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण भाग है। यह न केवल एक मिठाई है, बल्कि यह तुर्की के मेहमाननवाजी की भावना और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है। समय के साथ, लोकुम ने कई बदलाव देखे हैं, लेकिन इसकी लोकप्रियता और महत्व आज भी बरकरार है। लोकुम की मिठास और इसकी सांस्कृतिक गहराई इसे केवल एक खाद्य पदार्थ नहीं, बल्कि एक अनुभव बनाती है। जब भी आप तुर्की की यात्रा करें या किसी तुर्की समारोह में शामिल हों, तो लोकुम का आनंद लेना न भूलें। यह न केवल आपके स्वाद को संतुष्ट करेगा, बल्कि आपको तुर्की की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से भी जोड़ देगा।

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